shiv chalisa lyrics Fundamentals Explained

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।

तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति।

जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥

नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

इनमें से सोमवार को भगवान शिव की पूजा में क्या चढ़ाना शुभ होता है?

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अर्थ: हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।

यह एक चमत्कारीक स्त्रोत है जिसका पाठ करने से भोलेनाथ तो प्रसन्न होते ही है, साथ ही इससे बिगड़े हुए काम भी बन जाते है। इस स्त्रोत के पाठ शिव रात्रि या सावन के महीने में शुभ मानते है। शिव जी की अगर कोई श्रद्धा पूर्वक भक्ति करता है तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। इसी कारण से भोले नाथ को ‘आशुतोष’ के नाम से भी जाना जाता है।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

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